Sunday, 9 July 2023

बालगोबिन भगत ,प्रश्न उत्तर , कक्षा दसवीं

 

प्रश्न 1.खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे?
उत्तर -बालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से युक्त परिवार, खेतीबारी और साफ़-सुथरा मकान रखने वाले गृहस्थ थे, फिर भी उनका आचरण साधुओं जैसा था। वह सदैव खरी-खरी बातें कहते थे। वे झूठ नहीं बोलते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे प्रयोग नहीं करते थे। वे किसी से झगड़ा नहीं करते थे। वे अत्यंत साधारण वेशभूषा में रहते थे। वे अपनी उपज को कबीर पंथी मठ पर चढ़ावा के रूप में दे देते थे। वहाँ से जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता था उसी में परिवार का निर्वाह करते थे।

प्रश्न 2.भगत की पुत्रवधू उन्हें अकेले क्यों नहीं छोड़ना चाहती थी?
उत्तर- भगत की पुत्रवधू उन्हें इसलिए अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी, क्योंकि भगत के इकलौते पुत्र और उसके पति की मृत्यु के बाद भगत अकेले पड़ गए थे। स्वयं भगत वृद्ध हैं। नियम-धर्म का पालन करने वाले भगत अपने स्वास्थ्य की चिंता नहीं करते हैं। उसके अलावा भगत को रोटियाँ बनाकर देने वाला भी कोई नहीं था और वह उनकी सेवा करके अपना जीवन बिताना चाहती है |

प्रश्न 3. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त कीं?
उत्तर- भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर सामान्य लोगों की तरह शोक और दुख प्रकट नहीं कर रहे हैं । वे मृत बेटे के सामने बैठकर मस्ती और तल्लीनता में कबीर के पद गाते रहे। वे मृत्यु को आत्मा-परमात्मा का मिलन बताकर  इससे दुखी होने के बजाय खुश होने की बात कहते हैं । वे अपनी पुत्रवधू को भी रोने के स्थान पर उत्सव मनाने के लिए कहते जा रहे थे।

 

प्रश्न 4.भगत के व्यक्तित्व और उनकी वेशभूषा को अपने शब्दों में चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- बालगोबिन भगत मँझोले कद के गोरे-चिट्टे साठ वर्ष से अधिक उम्र वाले आदमी थे। उनके बाल सफ़ेद हो चुके थे। उनका चेहरा सफ़ेद बालों से जगमगाता रहता था। कपड़ों के नाम पर उनके शरीर पर एक लँगोटी और सिर पर कनफटी टोपी धारण करते थे बालगोबिन भगत और गले में तुलसी की बेडौल माला पहने रहते थे। उनके माथे पर रामानंदी टीका सुशोभित होता था। सर्दियों  में वे काली कमली ओढ़े रहते थे।

प्रश्न 5.बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के अचरज का कारण क्यों थी?
उत्तर-बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के लिए कुतूहल का कारण थी। वे अत्यंत सादगी, सरलता और नि:स्वार्थ भाव से जीवन जीते थे। उनके पास जो कुछ था, उसी में काम चलाया करते थे। वे किसी की वस्तु को बिना पूछे उपयोग में न लाते थे।  इसके अलावा दाँत किटकिटा देने वाली सर्दियों की भोर में खुले आसमान के नीचे पोखरे पर बैठकर गाना, उससे पहले दो कोस जाकर नदी स्नान करने जैसे कार्य लोगों के आश्चर्य का कारण थी।

 

 

प्रश्न 6.पाठ के आधार पर बालगोबिन भगत के मधुर गायन की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-बालगोबिन भगत सुमधुर कंठ से इस तरह गाते थे कि कबीर के सीधे-सादे पद भी उनके मुँह से निकलकर सजीव हो उठते थे। उनके गीत सुनकर बच्चे झूम उठते थे, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते थे और काम करने वालों के कदम लय-ताल से उठने लगते थे। इसके अलावा भादों की अर्धरात्रि में उनका गान सुनकर उसी तरह चौंक उठते थे, जैसे अँधेरी रात में बिजली चमकने से लोग चौंक कर सजग हो जाते हैं।

प्रश्न 7.कुछ मार्मिक प्रसंगों के आधार पर यह दिखाई देता है कि बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। पाठ के आधार पर उन प्रसंगों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- बालगोबिन भगत प्रचलित सामाजिक मान्यताओं को नहीं मानते थे। यह पाठ के निम्नलिखित मार्मिक प्रसंगों से ज्ञात होता

i, भगत ने अपने इकलौते पुत्र के निधन पर न शोक मनाया और न उसके क्रिया-कर्म को    ज्यादा महत्त्व नहीं दिया।

ii  उन्होंने पुत्र को स्वयं मुखाग्नि न देकर अपनी पुत्रवधू से मुखाग्नि दिलवायी।

iii उन्होंने विधवा विवाह के समर्थन में कदम उठाते हुए उसके भाई को कहा कि इसको साथ

  ले जाकर दुबारा विवाह करवा देना।

iv.   वे साधुओं के संबल लेने और गृहस्थों के भिक्षा माँगने का विरोध करते हुए तीस कोस     

   दूर गंगा स्नान करने जाते और उपवास रखते हुए यह यात्रा पूरी करते थे।

 

 8.धान की रोपाई के समय समूचे माहौल को भगत की स्वर लहरियाँ किस तरह झंकृत कर देती थीं? उस माहौल का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-आषाढ़ महीने की रिमझिम के बीच सारा गाँव खेतों में उमड़ पड़ा है। शीतल पुरवाई चल रही है। आसमान बादलों से आच्छादित है। कहीं हल चल रहे हैं कहीं रोपनी हो रही है। बच्चे पानी भरे खेत में खेल रहे हैं। औरतें कलेवा लिए मेंड़ पर बैठी हैं। इसी समय भगत का कंठ फूट पड़ता है और उनके स्वरों की गूंज आसपास के लोगों को झूमने के लिए विवश कर देती है। इसे सुनकर बच्चे झूमने लगते हैं, स्त्रियों के होंठ गुनगुनाने लगते हैं और गीत की लय-ताल पर अँगुलियाँ रोपाई करने लगती हैं तथा कदम उठने लगते हैं।

प्रश्न 9.पाठ के आधार पर बताएँ कि बालगोबिन भगत की कबीर पर श्रद्धा किन-किन रूपों में प्रकट हुई है?
उत्तर-बालगोबिन ‘भगत का पहनावा और आचरण कबीर पंथियों जैसा था। वे कबीर को साहब मानते थे और उनसे असीम श्रद्धा और विश्वास रखते थे। कबीर के प्रति उनकी श्रद्धा निम्नलिखित रूपों में प्रकट हुई है

*उनका पहनावा कबीर पंथियों जैसा था।

*उनके गले में तुलसी की माला और मस्तक पर रामानंदी टीका होता है।

*वे अपने खेत की सारी उपज कबीरपंथी मठ पर ले जाकर चढ़ावे के रूप में अर्पित कर देते थे और जो कुछ प्रसाद रूप में मिलता उसी से घर चलाते।

*वे कबीर के समान खरा-खरा व्यवहार करते ।

*उन्होंने कबीर के पदों का गायन करते हुए द्रिन बिताया।

*उन्होंने आत्मा को परमात्मा का अंश मानकर मृत्यु को दोनों के मिलन का शुभ अवसर

  बताया। उन्होंने कबीर की भाँति जीवन को नश्वर बताया।

 

 

 

Sunday, 9 October 2022

CBSE CLASS 10 LESSON 1 सूरदास के पद के प्रश्न उत्तर

 

सूरदास के पद  प्रश्न- उत्तर

 श्न 1- गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में क्या व्यंग्य निहित है?

 

उत्तर):- गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित या छिपा है कि वो इतने ज्यादा भाग्यशाली हैं कि उन्हें श्री कृष्ण के पास रहने का सौभाग्य मिला है। मगर, तब भी उनके मन में श्रीकृष्ण का मोह प्रेम भरा नहीं है। इसलिए गोपियाँ उद्धव की तुलना कमल के पत्ते से करते हुए कहती हैं, जैसे कमल के पत्ते पर पानी और तेल के चिकने घड़े (मटकी) पर तेल नहीं टिकता, वैसे ही उद्धव श्री कृष्ण के पास रह कर भी उनके प्रेम में नहीं डूब पाए।

 प्रश्न 2- उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?

सूरदास के पद में गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्न चीजों से की है:

·         गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से करते हुए कहा है कि तुम उस कमल के पत्ते की तरह हो जो जल में रहते हुए भी कभी उसे छू नहीं पाता और ना ही कभी उस पर टिक पाता है। इसीलिए तुम कृष्ण-कन्हैया के साथ रह कर उनके प्रेमरस में भीग नहीं पाए।

गोपियों के दूसरे उदाहरण के अनुसार, उद्धव जल के बीच रखे तेल के मटके या घड़े की तरह हैं। जिस तरह तेल के मटके पर कभी जल टिक नहीं पाता है, क्योंकि उसे तेल से ही सींचा जाता है, उसी प्रकार उद्धव के मन पर श्रीकृष्ण के प्रेम-आकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।

 प्रश्न 3- गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

 (उत्तर):- गोपियों ने कमल के पत्ते, चिकने घड़े (मटके) और प्रेम की नदी की उपेक्षा करने वाले किसी साधु से उद्धव जी की तुलना करते हुए, उन्हें उलाहने दिए हैं कि तुम तो एक बैरागी हो, तुम्हें प्रेम की समझ नहीं है। इसीलिए तो तुम प्रेम के सागर रूपी कृष्ण के इतने निकट रहकर भी उनके प्रेम में लीन नहीं हुए हो। वो उन्हें भाग्यशाली कहते हुए व्यंग्य करती हैं कि तुम्हें कृष्ण भगवान के पास रहने का सौभाग्य मिला है, लेकिन तुम इतने अभागे हो कि पास रहकर भी उनके प्रेम से दूर हो।


प्रश्न 4- उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

 (उत्तर):- सभी गोपियों को श्रीकृष्ण से बहुत ज्यादा प्रेम था। वो इस आस में अपने प्रेम को सींच-सींच कर रखती थीं कि एक दिन श्री कृष्ण आएँगे और उन सभी को अपने साथ ले जाएंगे। मगर, जब श्रीकृष्ण खुद नहीं आए और उन्होंने उद्धव को योग संदेश देकर गोपियों के पास भेजा, तो गोपियों की आशा टूट गयी। फिर उद्धव द्वारा सुनाए गए योग संदेश से उनकी विरह यानि बिछोह की अग्नि और ज्यादा धधक उठती है। इसके बाद वो उदासी और क्रोध में उद्धव को तरह-तरह के उलाहने देने लगती हैं और काफी खरी खोटी सुना देती हैं।

 

         प्रश्न 5- ‘मरजादा लहीके माध्यम से कौन-सी मर्यादा रहने की बात की जा रही है?

         (उत्तर):- सूरदास के पद मेंमरजादा लहीके माध्यम से प्रेम की मर्यादा रहने की बात की जा रही है। श्री कृष्ण के मथुरा चले जाने के बाद, सब गोपियां उनका इंतजार करती थीं। इस दौरान उन्होंने धैर्य से अपनी प्रेम रूपी धरोहर को संभाले रखा। मगर श्री कृष्ण ने अपनी मर्यादा को नहीं संभाला और प्रेम निमंत्रण की जगह गोपियों को उद्धव के जरिये योग संदेश भेज दिया। गोपियां मानती हैं कि मर्यादा के अनुसार उन्हें उनके प्रेम के बदले में अपने कान्हा से प्रेम ही मिलना चाहिए था, लेकिन कान्हा ने योग-संदेश देकर उस मर्यादा की लाज नहीं रखी।

          

         प्रश्न 6- कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?

·          (उत्तर):- गोपियां कहती है कि हमारे लिए तो श्री कृष्ण हारिल पक्षी* की लकड़ी की समान हैं। जिस तरह वो अपने पंजों में जकड़ी हुई डाल को कभी छोड़ नहीं पाता है, ठीक उसी तरह, हमने भी श्री कृष्ण को अपने मन में पकड़ लिया है यानि बसा लिया है और उन्हें अपना मान लिया है। गोपियों ये भी कहती है कि हमने अपने मन-क्रम-वचन से श्री कृष्ण को अपना मान लिया है और हम दिन-रात बस कान्हा को पुकारते हैं।

·         *(हारिल एक तरह का पक्षी होता है, जो अपने पंजों में हमेशा एक लकड़ी पकड़कर रखता है। वो उस लकड़ी से इतना ज्यादा प्रेम करता है कि एक पल के लिए भी उससे दूर नहीं होना चाहता)

          प्रश्न 7- गोपियों ने उद्धव से योग की शिक्षा कैसे लोगों को देने की बात कही है ?

·          (उत्तर):- उद्धव अपने योग-संदेश में गोपियों को मन की एकाग्रता का उपदेश देते हैं। तब गोपियाँ चिढ़ कर उद्धव जी से कहती हैं कि उन्हें योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देनी चाहिए, जिनकी इन्द्रियाँ मन उनके नियंत्रण में नहीं होते, या फिर जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। वो कहती हैं कि हमें तुम्हारे योग-संदेश की आवश्यकता नहीं है। हम तो हर तरह से केवल श्रीकृष्ण के प्रेम में लीन हैं, इसलिए हमें ध्यान लगाने का संदेश ना दें।

        

·         प्रश्न 8- प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

·          (उत्तर):- प्रस्तुत पदों के आधार पर स्पष्ट है कि गोपियाँ योग-साधना को नीरस, व्यर्थ और अवांछित मानती हैं। उनके अनुसार योग ऐसी कड़वी ककड़ी की तरह है, जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से कहते हैं कि जो इंसान किसी के प्रेम में सच्चे मन से लीन हो, उसे एकाग्र रहने के लिए किसी योग-साधना की ज़रूरत नहीं होती है। गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए, जिनकी इन्द्रियाँ मन उनके वश में नहीं होते। गोपियों को योग की आवश्यकता है ही नहीं क्योंकि उनके मन इन्द्रियाँ तो कृष्ण के अनन्य प्रेम में पहले से ही एकाग्र है।

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·         प्रश्न 9- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?

·          (उत्तर):- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म उसकी प्रजा को अन्याय से बचाना तथा नीति से राज धर्म का पालन करना होना चाहिए।

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·         प्रश्न 10- गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?

·          (उत्तर):- गोपियों को लगता है कि अब श्री कृष्ण शायद राजनीति में बहुत माहिर हो गए हैं। तभी उन्होंने उद्धव को यहां संदेश लेकर भेजा है। वो जानते हैं कि अगर वो खुद यहाँ आते तो हम सब उनसे रूठ जाते और उन्हें हमें मनाना पड़ता। वह कहती हैं कि हमें लगता है, उन्होंने चतुराई में महारत हासिल कर ली है। तभी इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं।

  

·          प्रश्न 11- गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए ?

          (उत्तर):- गोपियाँ वाक्चतुर हैं यानि उन्हें बोलने का बहुत ज्यादा ज्ञान है। उनके इसी ज्ञान की वजह से उन्होंने उद्धव को अपने सामने ज्यादा बोलने का मौका नहीं दिया। गोपियों ने अपना गुस्सा व्यंग्य के रूप में उद्धव पर उतारा और अपने व्यंग्यों से उन्हें पराजित परस्थ कर दिया।

     CBSE की परीक्षा में आए हुए प्रश्न 

1. हारिल की लकड़ी किसे और क्यों कहा गया है ? (2011 )

2. "जागत सोवत स्वप्न दिवस -निसि, कान्ह कान्ह जकरी |" इस पंक्ति  के द्वारा गोपियों कि किस मनः स्थिति का वर्णन किया गया है ? (2014,12 )

3, सूरदास जी ने मधुकर शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है ?(2015)

4,गोपियों को ऐसा क्यों लगाता है कि श्रीकृष्ण की बुद्धि अब और बढ़ गई है ?(2016 )

     

बालगोबिन भगत ,प्रश्न उत्तर , कक्षा दसवीं

  प्रश्न 1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ? उत्तर - बालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से ...