सूरदास के पद प्रश्न- उत्तर
उत्तर):- गोपियों द्वारा उद्धव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित या छिपा है कि वो इतने ज्यादा भाग्यशाली हैं कि उन्हें श्री कृष्ण के पास रहने का सौभाग्य मिला है। मगर, तब भी उनके मन में श्रीकृष्ण का मोह व प्रेम भरा नहीं है। इसलिए गोपियाँ उद्धव की तुलना कमल के पत्ते से करते हुए कहती हैं, जैसे कमल के पत्ते पर पानी और तेल के चिकने घड़े (मटकी) पर तेल नहीं टिकता, वैसे ही उद्धव श्री कृष्ण के पास रह कर भी उनके प्रेम में नहीं डूब पाए।
सूरदास के पद में गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना निम्न चीजों से की है:
·
गोपियों ने उद्धव के व्यवहार की तुलना कमल के पत्ते से करते हुए कहा है कि तुम उस कमल के पत्ते की तरह हो जो जल में रहते हुए भी कभी उसे छू नहीं पाता और ना ही कभी उस पर टिक पाता है। इसीलिए तुम कृष्ण-कन्हैया के साथ रह कर उनके प्रेमरस में भीग नहीं पाए।
गोपियों के दूसरे उदाहरण के अनुसार, उद्धव जल के बीच रखे तेल के मटके या घड़े की तरह हैं। जिस तरह तेल के मटके पर कभी जल टिक नहीं पाता है, क्योंकि उसे तेल से ही सींचा जाता है, उसी प्रकार उद्धव के मन पर श्रीकृष्ण के प्रेम-आकर्षण का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।
प्रश्न 3- गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?
प्रश्न 4- उद्धव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?
(उत्तर):- सभी गोपियों को श्रीकृष्ण से बहुत ज्यादा प्रेम था। वो इस आस में अपने प्रेम को सींच-सींच कर रखती थीं कि एक दिन श्री कृष्ण आएँगे और उन सभी को अपने साथ ले जाएंगे। मगर, जब श्रीकृष्ण खुद नहीं आए और उन्होंने उद्धव को योग संदेश देकर गोपियों के पास भेजा, तो गोपियों की आशा टूट गयी। फिर उद्धव द्वारा सुनाए गए योग संदेश से उनकी विरह यानि बिछोह की अग्नि और ज्यादा धधक उठती है। इसके बाद वो उदासी और क्रोध में उद्धव को तरह-तरह के उलाहने देने लगती हैं और काफी खरी खोटी सुना देती हैं।
प्रश्न 5- ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?
(उत्तर):- सूरदास के पद में ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से प्रेम की मर्यादा न रहने की बात की जा रही है। श्री कृष्ण के मथुरा चले जाने के बाद, सब गोपियां उनका इंतजार करती थीं। इस दौरान उन्होंने धैर्य से अपनी प्रेम रूपी धरोहर को संभाले रखा। मगर श्री कृष्ण ने अपनी मर्यादा को नहीं संभाला और प्रेम निमंत्रण की जगह गोपियों को उद्धव के जरिये योग संदेश भेज दिया। गोपियां मानती हैं कि मर्यादा के अनुसार उन्हें उनके प्रेम के बदले में अपने कान्हा से प्रेम ही मिलना चाहिए था, लेकिन कान्हा ने योग-संदेश देकर उस मर्यादा की लाज नहीं रखी।
प्रश्न 6- कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियों ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?
·
(उत्तर):- गोपियां कहती है कि हमारे लिए तो श्री कृष्ण हारिल पक्षी* की लकड़ी की समान हैं। जिस तरह वो अपने पंजों में जकड़ी हुई डाल को कभी छोड़ नहीं पाता है, ठीक उसी तरह, हमने भी श्री कृष्ण को अपने मन में पकड़ लिया है यानि बसा लिया है और उन्हें अपना मान लिया है। गोपियों ये भी कहती है कि हमने अपने मन-क्रम-वचन से श्री कृष्ण को अपना मान लिया है और हम दिन-रात बस कान्हा को पुकारते हैं।
·
*(हारिल एक तरह का पक्षी होता है, जो अपने पंजों में हमेशा एक लकड़ी पकड़कर रखता है। वो उस लकड़ी से इतना ज्यादा प्रेम करता है कि एक पल के लिए भी उससे दूर नहीं होना चाहता)
·
(उत्तर):- उद्धव अपने योग-संदेश में गोपियों को मन की एकाग्रता का उपदेश देते हैं। तब गोपियाँ चिढ़ कर उद्धव जी से कहती हैं कि उन्हें योग की शिक्षा ऐसे लोगों को देनी चाहिए, जिनकी इन्द्रियाँ व मन उनके नियंत्रण में नहीं होते, या फिर जिनका मन चंचल है और इधर-उधर भटकता है। वो कहती हैं कि हमें तुम्हारे योग-संदेश की आवश्यकता नहीं है। हम तो हर तरह से केवल श्रीकृष्ण के प्रेम में लीन हैं, इसलिए हमें ध्यान लगाने का संदेश ना दें।
·
प्रश्न 8- प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।
·
(उत्तर):- प्रस्तुत पदों के आधार पर स्पष्ट है कि गोपियाँ योग-साधना को नीरस, व्यर्थ और अवांछित मानती हैं। उनके अनुसार योग ऐसी कड़वी ककड़ी की तरह है, जिसे निगलना बड़ा ही मुश्किल है। सूरदास जी गोपियों के माध्यम से कहते हैं कि जो इंसान किसी के प्रेम में सच्चे मन से लीन हो, उसे एकाग्र रहने के लिए किसी योग-साधना की ज़रूरत नहीं होती है। गोपियों के अनुसार योग की शिक्षा उन्हीं लोगों को देनी चाहिए, जिनकी इन्द्रियाँ व मन उनके वश में नहीं होते। गोपियों को योग की आवश्यकता है ही नहीं क्योंकि उनके मन व इन्द्रियाँ तो कृष्ण के अनन्य प्रेम में पहले से ही एकाग्र है।
·
·
प्रश्न 9- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए?
·
(उत्तर):- गोपियों के अनुसार राजा का धर्म उसकी प्रजा को अन्याय से बचाना तथा नीति से राज धर्म का पालन करना होना चाहिए।
·
·
प्रश्न 10- गोपियों को कृष्ण में ऐसे कौन-से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वे अपना मन वापस पा लेने की बात कहती हैं?
·
(उत्तर):- गोपियों को लगता है कि अब श्री कृष्ण शायद राजनीति में बहुत माहिर हो गए हैं। तभी उन्होंने उद्धव को यहां संदेश लेकर भेजा है। वो जानते हैं कि अगर वो खुद यहाँ आते तो हम सब उनसे रूठ जाते और उन्हें हमें मनाना पड़ता। वह कहती हैं कि हमें लगता है, उन्होंने चतुराई में महारत हासिल कर ली है। तभी इतनी बड़ी-बड़ी बातें कर रहे हैं।
·
प्रश्न 11- गोपियों ने अपने वाक्चातुर्य के आधार पर ज्ञानी उद्धव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए ?
(उत्तर):- गोपियाँ वाक्चतुर हैं यानि उन्हें बोलने का बहुत ज्यादा ज्ञान है। उनके इसी ज्ञान की वजह से उन्होंने उद्धव को अपने सामने ज्यादा बोलने का मौका नहीं दिया। गोपियों ने अपना गुस्सा व्यंग्य के रूप में उद्धव पर उतारा और अपने व्यंग्यों से उन्हें पराजित परस्थ कर दिया।
No comments:
Post a Comment