"आज दिन शुभ है
याद वीरों को करते हैं
हुए मातृभूमि हित बलिदान
उनको नमन शत शत करते हैं |"
आजादी के अमृत महोत्सव की इस बेला पर आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं |
15 अगस्त वर्ष 1947 को भारत के संविधान में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है | यह दिन भारतीय के मन में नवीन स्फूर्ति ,नवीन आशा ,उत्साह व देशभक्ति का संचार करता है | स्वतंत्रता दिवस हमें यह भी याद दिलाता है कि हमने कितनी कुर्बानियाँ देकर यह आजादी प्राप्त की है | आजादी की रक्षा हमें हर कीमत पर करनी है ,इसके लिए अपने प्राणों की आहुति क्यों न देनी पड़े | सरहद पर खड़े भारती के वीर सपूत इस बात के सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं |
"याद रखो, भारती के सपूतों का बलिदान
इस दिन के लिए जो हुए थे हँस कर कुर्बान ||"
आज मैं मेरे वक्तव्य में भले ही वो संपूर्णता शामिल न कर पाऊं ,पर उन बातों का अवश्य उल्लेख करूंगी जो हमें आजादी के अमृत महोत्सव पर गौरवान्वित करे | हम गर्व महसूस करें भारतीय होने पर | भारत देश विश्वगुरु बनने के पथ पर निरंतर अग्रसर है | मैं सर्वप्रथम बात सीमा के प्रहरियों की करती हूँ | जल,थल और वायु सेना जो भारत को सुरक्षा की दृष्टि से सशक्त राष्ट्र बनाती है और विश्व में चौथे स्थान पर सबसे ताकतवर सेना के रूप में प्रतिष्ठित है |
सामाजिक दृष्टि से भारत को देखती हूँ तो एक संबल ,सशक्त राष्ट्र के रूप में पाती हूँ | यहां बेटी से लेकर महिलाओं की सुरक्षा ,स्वाभिमान व स्वावलंबन के लिए निरंतर प्रयास किए गए उसी का प्रतिफल है कि देश के सर्वोच्च पद को आदिवासी महिला सुशोभित कर रही है | तथा गृहलक्ष्मी की भांति देश का वित्त मंत्रालय एक महिला संभाल रही है | भारतीय सेना में एन.डी.ए के माध्यम से महिलाओं का प्रवेश गौरान्वित करती है |
भारतीय संस्कृति सम्पूर्ण भारत को एक राष्ट्र के रूप में पिरोए हुए है | भारत मां के हार में मोती से सजे राज्य और इन मोतियों की चमक ही सम्पूर्ण विश्व में सांस्कृतिक रूप से भारत को दीप्तिमान बनाती है |
आर्थिक दृष्टि से बात करूं तो भारत विश्व में छठे स्थान पर है और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करते हुए निरंतर कर्मरत है | स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत ने वैश्विक महामारी कोरोना पर जीत प्राप्त की और उस दौरान पड़ौसी देशों को भी इस महामारी से लड़ने में मदद प्रदान की | सामाजिक ,आर्थिक ,सांस्कृतिक ,खेल ,व्यापार हर क्षेत्र में भारत देश अपना परचम लहरा रहा है |
"आजादी के अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर" कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने कहा -" कितना ही अंधेरा छाए, भारत मूल स्वभाव नहीं छोड़ता | आज करोड़ों भारतवासी स्वर्णिम भारत की आधार शीला रख रहे हैं | राष्ट्र का अस्तित्व है | यह एहसास नए भारत के निर्माण में भारतीयों की सबसे बड़ी ताकत बनाता जा रहा है |"
" बदला -बदला मेरे देश का मिजाज है
हर क्षेत्र में बढ़ा रहा कदम बेमिसाल है
विश्व गुरु था भारत ,है और रहेगा
यह परिचय अपना विश्व को करा रहा |"
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