Friday, 12 February 2021


 कक्षा -12

   हिन्दी    वितान


पाठ का नाम -  सिल्वर वैडिंग 

लेखक      मनोहर श्याम जोशी
कहानी परिचय

सिल्वर वैडिंग मनोहर श्याम जोशी द्वारा लिखी एक लम्बी कहानी है । यह कहानी अपने शिल्प में जोशी जी के चिर परिचित भाषिक अंदाज़ और मुहावरों से युक्त है ।

आधुनिकता की ओर बढ़ता हमारा समाज एक ओर कई नयी उपलब्धियों को समेटे हुए है तो दूसरी ओर मनुष्य को मनुष्य बनाए रखने वाले मूल्य कहीं घिसते चले गए हैं । 




इस कहानी में आधुनिक विसंगति,वृद्धावस्था में उपेक्षित होते मानवीय मूल्य एवं पीढ़ियों के अन्तराल से उपजी असंतुलन की आधुनिक भावबोध से संबंधित विडंबना को उजागर करती है ।जो हुआ होगा और समहाउ इंप्रापर के दो जुमले इस कहानी के बीज वाक्य हैं। जो हुआ होगा में यथास्थितिवाद यानी ज्यों-का-त्यों स्वीकार लेने का भाव है तो समहाउ इंप्रापर में एक अनिर्णय की स्थिति भी है। ये दोनों ही भाव इस कहानी के मुख्य चरित्र यशोधर बाबू के भीतर के द्वंद्व हैं। वे इन स्थितियों का जिम्मेदार भी किसी व्यक्ति को नहीं ठहराते। वे अनिर्णय की स्थिति में हैं।




कथानक की शुरुआत कथानायक यशोधर पंत के कार्यालय में दैनिक कार्य समाप्ति से होता है । यशोधर बाबू को अनायास मि.मेनन नामक सहकर्मी से ज्ञात होता है कि आज उनकी शादी की पच्चीसवीं सालगिरह है । कार्यालय से घर तक पहुँचते समय तक यशोधर बाबू के ख़यालों से फ्लेश बैक पद्धति द्वारा लेखक ने कहानी विस्तार किया है । 



यशोधर बाबू अपने तीन पुत्रों एवं एक पुत्री से आधुनिक वैचारिक संतुलन बनाने में असहज है । उनके मार्गदर्शक कृष्णानंद पांडे अर्थात् किशनदा थे जिनके कथन आज भी यशोधर के जीवन में पथप्रदर्शन करते रहते हैं । यशोधर बाबू की पत्नी भी अपनी संतानों की तरफदारी करती आधुनिकता के रंग में रंगी मॉड बन चुकी है,उनका बिना बाजू का ब्लाउज पहनना, ऊँची ऐड़ी के सेंडल पहनना, होठों पर लाली एवं बालों में खिजाब लगाना यशोधर पंत को समहाउ इंप्रोपर लगता है । 

 


उन्हें अपनी संतानों के प्रति भी अंतर्विरोध है । कार्यालय से साढ़े पाँच बजे रवाना होने पर भी घर पर पत्नी और बच्चों से वैचारिक अनबन होने के कारण यशोधर पंत हमेशा आठ-साढ़े ही घर पहुँचते हैं ।

दफ़्तर से लौटते हुए रोज़ बिड़ला मंदिर जाने और उसके उद्यान में बैठकर कोई प्रवचन सुनने अथवा स्वयं ही प्रभू का द्यान लगाने की नयी रीत  अपनाई है ।

यह बात उनके बच्चों को अच्छी नहीं लगती वो कहते हैं कि बब्बा, आप कोई बुड्ढ़े थोड़ी हो जो रोज़ -रोज़ मंदिर जाते हो ।


बिड़ला मंदिर के बाद यशोधर बाबू पहाड़गंज जाते हैं और घर के लिए साग-सब्ज़ी खरीद लाते हैं । किसी से मिलना-मिलाना हो तो वह भी इसी समय कर लेते हैं


वे पार्टी के माहोल को छोड़ संध्या पूजन के बहाने समय व्यतीत करने का प्रयास करते हैं । यशोधर पंत के हृदय में दबा मर्म उस समय आँखों में उभर आता है जब उसका पुत्र भूषण उन्हें ड्रेसिंग गाउन गिफ्ट देकर कहता है कि इसे पहन कर आप दूध लेने जाया करें, वास्तव में वे अपने पुत्र से सुनना चाहते थे कि दूध मैं ला दिया करूँगा । यशोधर बाबू के मन में उनके मार्गदर्शक किशनदा की छवि उभर आती है, जिनकी मृत्यु के बारे में सुना जाता है - " जो हुआ होगा ।" इसी के साथ कहानी खत्म होती है । 



बहुविकल्पीय      

           प्रश्न- उत्तर


1,मनोहर श्याम जोशी कृत ’सिल्वर वैडिंग’ की विधा है-

 लम्बी कविता                          लम्बी कहानी

  आत्मकथा                              संस्मरण 

लम्बी कहानी

2 ,यशोधर पंत का कार्यालय में पद था ?

सह निदेशक                               क्लर्क(लिपिक)

सेक्सन ऑफिसर                            चपरासी 

सेक्सन ऑफिसर 

3,यशोधर के व्यवहारिक गुरु कौन थे ?

महात्मा गाँधी                                  किशनदा

नारद जी                                        भगवान कृष्ण

किशनदा

4,“बड़े बाऊ, आपकी अपनी चूनेदानी का क्या हाल है ?” यहाँ चूनेदानी है-

पुस्तकों की अलमारी                                    यशोधरा पंत का बैग

यशोधर पंत की घड़ी                                     किशनदा की फायल

यशोधर पंत की घड़ी  

5,यशोधर पंत की हाथ घड़ी की विशेषता थी?

यह जापान से मँगाई गई थी              किशनदा ने उन्हें दी थी

यह उनकी पसंद की थी                 यह उनको शादी में मिली थी 

यह उनको शादी में मिली थी 

No comments:

Post a Comment

बालगोबिन भगत ,प्रश्न उत्तर , कक्षा दसवीं

  प्रश्न 1. खेतीबारी से जुड़े गृहस्थ बालगोबिन भगत अपनी किन चारित्रिक विशेषताओं के कारण साधु कहलाते थे ? उत्तर - बालगोबिन भगत बेटा-पतोहू से ...