Friday, 30 April 2021

 

बस की यात्रा

 

पाठ परिचय

प्रस्तुत पाठ में लेखक ने अपनी यात्रा के व्यक्तिगत अनुभव को बताया है

वे जब यात्रा करते हैं तब उन्हें कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है बताया गया है ।

इस पाठ में लेखक ने परिवहन निगम की बसों की बुरी स्थिति पर व्यंग्य किया है । 

यह एक व्यंग्यात्मक कहानी है, इसमें लेखक ने यह चर्चा करनी चाही है कि किस प्रकार पुराने और खराब हालत के वाहन सड़कों पर चलते है, उनके मालिक केवल धन कमाना चाहते हैं। लोगों के जान-माल के बारे में उन्हें कोई चिंता नहीं होती । 






·       पाँच मित्र 

·       शाम चार बजे की बस से यात्रा करते 

·       पन्ना से सतना जा रहे हैं 

·       जबलपुर की ट्रेन पकड़नी है । 

 

 

बहुविकल्पीय प्रश्न –उत्तर

 

1. बस की यात्रा पाठ के लेखक का नाम लिखिए |

   i कामतानाथ

   ii हरिशंकर परसाई

   iiiभगवतीचरण वर्मा

 

2.. लेखक को बस से कहाँ जाना था?

  i  पन्ना से सतना

  ii  सतना से पन्ना

  iii जबलपुर से सतना

 

3. लेखक ने बस का मानवीकरण किस के रूप में किया  है ?

     i वयोवृद्धा

     ii नवयुवती

    iii दोनों सही है

4.लेखक के मन में बस को देखकर कैसा भाव उमड़ा ?

     i.श्रद्धा का भाव  

     ii.ईर्ष्या का भाव

     iii दया का भाव

 

5 , लेखक और उनके मित्रों ने जब बस को देखा तो उन्होंने क्या सोचा

 i  यह बस अपने आप चलती भी है

ii यह बस कहां तक जायगी

iii बस कौन  चला रहा है

 

6, लेखक किसे अपना दुश्मन समझ रहा था ?

    i  बस को

    ii रास्ते में मिलने वाले लोगों को

   iii  पेड़ों को अपना दुश्मन समझ रहे थे

 

7, "जान हथेली पर रखना " मुहावरे का क्या अर्थ है ?

 

      i अपने प्राणों की परवाह न करना । 

      ii  अपनी  जीवन के बारे में सोचना

      iii   अपने भले के लिए सोचना

 

8. लोगों ने लेखक को क्या सलाह दी ?

     i शाम वाली बस से सफर करना चाहिए

    ii  शाम को डाकू मिलते हैं

    iii   समझदार व्यक्ति शामवाली बस से सफर नहीं करते

 

9.”बस तो  फर्स्ट क्लास है जी ! यह इत्तफ़ाक की बात है |” यह किसने कहा ?

     i  लेखक ने

     ii लेखक के मित्र ने

    ii कंपनी के हिस्सेदार ने

 

10. धीरे-धीरे वृद्धा की ज्योति जाने लगी | यहाँ वृद्धा किसे कहा गया है ?

       i. गांव की महिला को

      ii. बस को

      iii. बस में बैठी महिला को

 

 

उत्तर: 1, i  2,i  3,i 4,i 5,i  6,iii  7,i 8, iii 9, iii 10, i

 

संक्षिप्त प्रश्न –उत्तर

 

1.लोगों ने लेखक को क्या सलाह दी ?

उत्तर- लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफ़र नहीं करते हैं ।  

 

2, लेखक के डॉक्टर मित्र ने क्या कहा ?

उत्तर "डरो मत बस अनुभवी है, नयी-नवेली बसों से ज्यादा विश्वसनीय है । हमे बेटों की

        तहर प्यार से गोद में लेकर चलेगी ।"

 

 

3,लेखक ने बस की तुलना गांधीजी के किन आंदोलनों से की है ?

उत्तर - असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन से तुलना की है ।

 

4, ’बस का हर हिस्सा दूसरे हिस्से से असहयोग कर रहा था’- ऐसा लेखक ने क्यों कहा ?

 उत्तर-  क्योंकि बस का कोई भी हिस्सा एक- दूसरे से मिलकर नहीं चल रहा था ।

 

5," निकल जाओ, बेटी! अपनी तो वह उम्र ही नहीं रही।" प्रस्तुत पंक्ति किसने किस के लिए कहा है ? 

उत्तर - लेखक ने बस के लिए कहा है ।

 

 

पाठ्यपुस्तक    प्रश्न अभ्यास 

 

प्र॰1 “मैंने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ़ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा।लेखक के मन में हिस्सेदार साहब के लिए श्रद्धा क्यों जग गई?

उत्तर-लेखक के मन में हिस्सेदार के प्रति श्रद्धाभाव इसलिए जगी क्योंकि वह थोड़े से पैसे बचाने के चक्कर में बस का टायर नहीं बदलवा रहा था और अपने साथ-साथ यात्रियों की जान भी जोखिम में डाल रहा था इसलिए लेखक ने श्रद्धाभाव कहकर उसपर व्यंग किया है।

 

2 “लोगों ने सलाह दी कि समझदार आदमी इस शाम वाली बस से सफर नहीं करते।लोगों ने यह सलाह क्यों दी?

उत्तर-लोगों ने लेखक को शाम वाली बस में सफर न करने की सलाह उसकी जीर्ण-शीर्ण हालत को देखकर दी। यदि रात में वह कहीं खराब हो गई तो परेशानी होगी। लोगो ने इस बस को डाकिन भी कहा। 

 

 

प्र॰3 “ऐसा जैसे सारी बस ही इंजन है और हम इंजन के भीतर बैठे हैं।

लेखक को ऐसा क्यों लगा?

प्रस्तुत पंक्‍ति लेखक ने उस समय कही जब वो बस में बैठ गए थे और इंतजार करने के बाद बस स्टार्ट हो गई थी । लेखक ने सारी बस को इंजन इसलिए कहा क्योंकि पूरी बस में इंजन आवाज़ गूंज रही थी 

 

प्र॰4 “गज़ब हो गया। ऐसी बस अपने आप चलती है।लेखक को यह सुनकर हैरानी क्यों हुई?

उत्तर - जब बस के हिस्सेदार ने लेखक को कहा कि  "ये बस अभी चलेगी" तब लेखक को आश्चर्य हुआ, क्योंकि बस इतनी टूटी-फूटी थी कि उसे देखकर लग नहीं रहा था कि वो बस अपने आप चलती थी ।

 

प्र॰5 “मैं हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था।लेखक पेड़ों को दुश्मन क्यों समझ रहा था?

उत्तर - लेखक हर पेड़ को अपना दुश्मन समझ रहा था क्योंकि लेखक को बस के किसी भी हिस्से पर भरोसा नहीं था। बस का ब्रेक फेल हो सकता था। स्टीयरिंग टूट सकता है। और ऐसा होने से ,सड़क के दोनों तरफ़ खड़े पेड़ों से बस कभी भी टकरा सकती थी और दुर्घटना हो सकती थी । इसलिए लेखक पेड़ों को अपना दुश्मन समझ रहा था । 

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